बचपन में जो बातें
मोहक लगती थी वो नकली थी
और जो उपेक्षणीय थी वो असली थी
बहुत बाद में जाना
नकली था जो
असली लगता था वो
जो असली था
हम सब उस पर हँसते थे
.....................
बहुत बाद में जाना
मोहक लगती थी वो नकली थी
और जो उपेक्षणीय थी वो असली थी
बहुत बाद में जाना
नकली था जो
असली लगता था वो
जो असली था
हम सब उस पर हँसते थे
.....................
बहुत बाद में जाना
असली चीजें चमकती नहीं
नकली टिकती नहीं
नकली टिकती नहीं
.........
जान लिया मैंने सच
बड़े होकर
कुछ अब भी बच्चे हैं
बड़े होकर
जान लिया मैंने सच
बड़े होकर
कुछ अब भी बच्चे हैं
बड़े होकर
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