Tuesday, January 31, 2012

विंटर ब्लूज़


रोज़े-अब्र (बरसात के दिन) उदास रहती है
शबे-माहताब (चाँद की रात) उदास रहती है
खूबसूरत शै है वो मगर
जहीन बनकर उदास रहती है
सर्दियों में जाने क्या बात है
सरे-शाम उदास रहती है
गज़लें सुनती है लेटकर
लेटे-लेटे उदास रहती है
मुझसे करती है बेहद मुहब्बत
मुझसे मिलकर उदास रहती है
दुनिया में है मंदी, मोहल्ले में शोर
बस सुनती है और उदास रहती है
सच्चे मायनों में है इंसान
हर किसी के दुख में उदास रहती है


Monday, January 30, 2012

मुझे मुहब्बत है तुमसे...

कई बार रात-बिरात
नींद खुल जाती है
देर तलक कोशिश
करुँ सोने की,
नींद नहीं आती है
यक-ब-यक
रोशन हो जाता है
दिमाग़
घुप्प अँधेरे कमरे में
जैसे, रोशनी की एक
किरण आती है...
तनहाई और उनींदेपन में
एक कविता उतर आती है
रात गुलज़ार हो जाती है
.............................
यह अलहदा है कि
अक्सर सुबह वह
-   बहुत सोचने पर भी –
याद नहीं आती है
.......................
मैं आश्वस्त हो जाता हूँ
मुझे मुहब्बत है तुमसे
क्योंकि, अब भी उनींदी रातों में
कविता ही मुझ तक आती है...


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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।