Thursday, January 22, 2015

कमीने थे दोस्त(जग्गी,युनुस,आजम,मरहूम रशीद, दिनेश,गोविन्द,मिंडा राजू,गार्ड राजू,किशोर,पप्प्या,कमलेश और मोदा को)

चिकोटी काटते थे ज़ोर की
घूंसा लगाते थे
घुटनो के पीछे वार कर घुटनों से
खुद ही सहारा बन जाते थे
कुछ एक लगाते थे चपत सर पे
छिप जाते थे
आँखें मूंद लेते थे पीछे से
कुछ सीधे आकर टकराते थे
जिस किसी से आँख लड़े
जल कर ,सरेआम उसे भाभी बुलाते थे
..................
बरतते थे दुश्मनों की तरह
साले अपने आपको फिर भी दोस्त बतलाते थे

मेरा काव्य संग्रह

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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।