एक दिन
मिट्टी हो जाता है
हर ठोस
पानी हो जाता है
हर द्रव
हवा हो जाती है
हर खुशबु
........
गोया कि
हर शै फ़ना होकर
अपने अस्ल में हो जाती है तब्दील
........
वक्त और हालात
के हाथों
एक दिन-देखना-
मैं भी ख़ुदा हो जाऊंगा
हर ठोस
पानी हो जाता है
हर द्रव
हवा हो जाती है
हर खुशबु
........
गोया कि
हर शै फ़ना होकर
अपने अस्ल में हो जाती है तब्दील
........
वक्त और हालात
के हाथों
एक दिन-देखना-
मैं भी ख़ुदा हो जाऊंगा
bakt or halat ...achchi kavita hai
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