Friday, January 17, 2014

इलहाम




सब छोड़ना पड़ता है, सब पाने के लिए
जब तक डूबे नहीं चाँद, सवेरा नहीं होता

हम ही कहाँ ख़्वाहिशों के लिए जुनूनी हैं
कौन-सा ख़्वाब है वरना है, जो पूरा नहीं होता

पहले सीखो, फिर कमाओ, फिर आँखें फेरो, भूल जाओ
जिंदगी चार पहर की, हर पहर दोबारा नहीं होता

किस्मत से तुम्हें-मुझे मिल गई है असल तालिम
फ़लसफ़ा जिंदगी का हरेक पे तारी-नुमाया नहीं होता

इलहाम हो ही गया है तो खोल लो आँखें
दरवाज़े पे दस्तक हो दुबारा, दुबारा नहीं होता

मेरा काव्य संग्रह

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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।