Tuesday, February 26, 2013

हमेशा ज़िद पे रहता है

अकेला रहता है, अकेला बहता है,भीड़ में
है तनहा, जमाना उसे अपना कहता है

उसकी हर अदा दुनिया से जुदा है हरदम
खुशियाँ बाँटता है सबमें,दर्द अकेले सहता है

हर लम्हा सूझती है कोई नई शरारत
दिल बच्चे-सा है, हमेशा ज़िद पे रहता है

नाम का रिश्ता दिन से नही रात से है
सपने देखता है ऊँचे,पूरे करके दम लेता है

कुछ बातें दिल छूती हैं,कुछ लगती हैं दिल पे
एक उल्का-सा है,हरदम अपनी रौ में रहता है

उसको नाग़वार हैं ज़माने की दुश्वारियां
जेहन में उसके तराशने का हुनर रहता है

Monday, February 25, 2013

संभावनाओं से लबरेज़ जीवन



संभावनाओं से लबरेज़ जीवन हरेक को लुभाता है
तुम बसंत के आम्रव्रक्ष बन जाते हो,और
हर आमोख़ास तुम पर निगाह गढ़ाता है
पिछली उपलब्धियों के आधार पर दूसरों को तौला जाता है
इस मौसम में कितना फलोगे
अनुमान लगाया जाता है
तुम्हारे बौराते ही जग ख़ुश हो जाता है
तुम्हारा बौराना बसंत को रितुराज बनाता
हवाओं को महकाता-मदमाता है
माह में घोलता है मधु, मधुमास बनाता है
फल की आस हरेक को है
इसीलिए,
फलदार पेड़ एक उम्मीद जगाता है
तुम एक उम्मीद हो-बस याद रहे-
तुमही से दुनिया है,गति है, जीवन है,इसका बनना-बनाना है
(यह न सोचते बैठ जाना कि
फल में ख़ुशबू-रंग-स्वाद भरने में
जड़ों को कितना गहरे,अँधेरे में जाना है
कितनी ग़ुमनामी,तनहाई,ख़ला में खो जाना है)


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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।