ढीली कर दी जाती है
एक दिन
अनायास ही
सम्पूर्ण ताकत से
बंद की गई मुट्ठी
इसलिए नहीं कि
चुक गई है शक्ति
याकि क्षीण हो गई है शिराएँ
बल्कि
इसलिए कि
एक दुर्निवार आतंरिक पुकार
के आगे झुकना पड़ता है सभी को
..........
हर बंद मुट्ठी
अंजुरी हो जाना चाहती है
एक दिन
एक दिन
अनायास ही
सम्पूर्ण ताकत से
बंद की गई मुट्ठी
इसलिए नहीं कि
चुक गई है शक्ति
याकि क्षीण हो गई है शिराएँ
बल्कि
इसलिए कि
एक दुर्निवार आतंरिक पुकार
के आगे झुकना पड़ता है सभी को
..........
हर बंद मुट्ठी
अंजुरी हो जाना चाहती है
एक दिन
No comments:
Post a Comment