Monday, October 19, 2015

पिता

वो क्षुद्र पौधों को 
कद्दावर बनाते थे
हम बोन्साई बनाने की 
योजना बनाते थे
................
वो महामानव थे
हम लघुमानवों की बात पर
मुस्कराते थे

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मेरा काव्य संग्रह

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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।