Sunday, January 9, 2011

चाहता मन



न बदले अधिकार में प्यार मेरा
बस तुम्हें देखता, सुनता, महसूसता रहूँ
कभी न सोचूँ
तुम देखो, सुनो, महसूसो मुझे
चाहता मन
देना ही आता रहे मुझे
कभी न सोचूँ मुझे मिला नहीं क्यों
बसी रहे समर्पण की चाह मन में
बनी रहे आकुलता ऐसी ही
जब तुम्हें देखूँ नशा-सा हो जाए
चाहता मन
जब भी आए, दिल काम में आए
कभी न दिमाग
मेरे-तुम्हारे दरमियां आए
 चाहता मन
न बदले अधिकार में प्यार मेरा
तुम्हें चाहना मेरे लिए जीवन जीना है

मेरा काव्य संग्रह

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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।