Thursday, December 31, 2020

 नए साल को नज़र

कितने जज़्बातों को ज़ब्त कर लेते हो दिल में
कितनी फ़िज़ूल बातों को देर तक हवा देते हो
तुम मुद्दत से मुझे देख-सुन-परख रहे हो,
मुहब्बत कब करोगे, जुनून-सा जगा देते हो
कुछ बातें हैं जो बताई नहीं अब तक तुमको
मेरी हर बात दूसरों को जो बता देते हो
जितने तपते हो, उतने भीगते चले जाते हो
गर्द हो या गर्दिश, हाल-ए-दीवाना बना लेते हो
मैं तुम्हें मिल भी जाऊँ तो क्या हासिल इसमें
अपना या बेगाना, सबको यकसी सज़ा देते हो
फूलों की सेज हो या फिर काँटों का बिछौना
थपकियों की शिफ़ा से, नींद मुख्तसर ही देते हो
दुआ करता हूँ फिर भी तुम्हारे लिए ख़ुदा से,
एक तुम ही तो हो जो उम्मीद जगा देते हो
Pankaj Dixit, Mamta Ojha and 19 others
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Tuesday, January 21, 2020

डूबता है,उबरता है, पार पाता है
इन दिनों मन मेरा कश्ती बन जाता है
रिमझिम फुहारों से बचना चाहता है
तेज बौछारों में भीगना चाहता है
आ न जाए ख्वाब कोई बंद आंखों में
रात ,बिस्तर छोड़, सोफे पर बिताता है
पौ फटे का सूरज देखना है बस
ताख-आलों में रखा हर दीपक बुझाता है
कहीं बदल रहा है मेरी खातिर कुछ
ये राज वो अपने से भी छिपाता है

मेरा काव्य संग्रह

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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।