वो कहते हैं
किसी शख्स को
नज़्म में पूरा का पूरा
नहीं ढाला जाता है
थोड़ी सी फंतासी और रुमानियत
मिला अदब बनाया जाता है
..........
मेरे पास एक
जीता जागता इंसान है
जो पूरा का पूरा अदबी मक़ाम है
नज़्म ग़ज़ल औ फसानों का
यूँ कहो किताबो की मुस्कान है
........
वो पियें कुछ मिलाकर
उनकी ख़ुशी
मेरी तो बोतल ही पूरा सामान है
किसी शख्स को
नज़्म में पूरा का पूरा
नहीं ढाला जाता है
थोड़ी सी फंतासी और रुमानियत
मिला अदब बनाया जाता है
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मेरे पास एक
जीता जागता इंसान है
जो पूरा का पूरा अदबी मक़ाम है
नज़्म ग़ज़ल औ फसानों का
यूँ कहो किताबो की मुस्कान है
........
वो पियें कुछ मिलाकर
उनकी ख़ुशी
मेरी तो बोतल ही पूरा सामान है
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