विचार
किसी भाषा के गुलाम नहीं
लेकिन अपनी भाषा में
सब कुछ कहना भी आसान नहीं
अपनी भाषा में गाओ -गुनगुनाओ
मगर दूसरी ज़बान को भी
समझो - सराहो
दिल बड़ा हो तो
तमाम अनुभूतियाँ
दामन थाम लेती हैं
क्योकि सारी नदियाँ
समंदर में विराम लेती है
किसी भाषा के गुलाम नहीं
लेकिन अपनी भाषा में
सब कुछ कहना भी आसान नहीं
अपनी भाषा में गाओ -गुनगुनाओ
मगर दूसरी ज़बान को भी
समझो - सराहो
दिल बड़ा हो तो
तमाम अनुभूतियाँ
दामन थाम लेती हैं
क्योकि सारी नदियाँ
समंदर में विराम लेती है
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