Tuesday, June 8, 2010

गम में लिखे मैंने गीत

उछला-कूदा खुशी में –हरदम-
गम में लिखे मैंने गीत
पा जगत का प्यार एक दिन
मन था फूला न समाया
मैं मदमाता फिर रहा था
 तू अचानक पास आया
छूने को बढ़े जब हाथ मेरे
तू तोड़ चला मेरी भावुक प्रीत
उछला-कूदा खुशी में –हरदम-
गम में लिखे मैंने गीत
मधु- मौसम था मन में छाया
कोयल की कूक से मन भरमाया
मैं पुष्प-सा खिल रहा था
तू भँवरे -सा पास आया
सोचा साथी तुझे बनाऊँगा
तू मिटाकर तृष्णा अपनी
राह गया विपरीत
उछला-कूदा खुशी में –हरदम-
गम में लिखे मैंने गीत
सुर-छंद-ताल सब सजे
था वाद्य मन- वीणा का बजा
तेरे आने की खुशी में
मैंने थी महफिल सजाई
राग-बेराग हो गया सब
जब छोड़ चला मझधार में
सभा और संगीत
उछला-कूदा खुशी में –हरदम-
गम में लिखे मैंने गीत

7 comments:

  1. बेशक बहुत सुन्दर लिखा और सचित्र रचना ने उसको और खूबसूरत बना दिया है.

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  2. दिल के सुंदर एहसास
    हमेशा की तरह आपकी रचना जानदार और शानदार है।

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  3. गम में लिखे मैंने गीत

    bahut badiya, prastuti

    http://sanjaykuamr.blogspot.com/

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  4. मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है
    बड़े काम की चीज है मोबाइल .....!
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com/2010/06/blog-post_06.html

    मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है
    सभी ब्लोगेर साथियों का तहे दिल से शुक्रिया .संजय रहेगा सदा कर्जदार आपका।
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com/2010/06/blog-post.html

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  5. कभी कोशिश कीजिए खुशी में भी लिख लेंगें। लेखन के लिए एक आवेग चाहिए चाहे वह खुशी का हो या गम का।

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  6. गम में ही सही पर बहुत अच्छा लिखा है..

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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।