कभी सघन
कभी विरल
कभी सुनहरा
कभी बदरंग
कभी स्याह
कभी सतरंग
...............
मैं रंगों की नहीं
समय की बात कर रहा हूँ
कभी सापेक्ष
कभी निरपेक्ष
कभी घोर अँधेरे-सा
कभी रोशन किरण-सा
कभी रेशमी-मुलायम
कभी सख़्त फौलाद
अजीब गोरखधंधा है समय
कभी स्वर्णमृग बन जाता है
कभी अमृत-कलश बिंधवाता है
कभी लड़ता है युद्ध
कभी निष्कासन
कभी जल-समाधि दिलवाता है
समय
कभी बँट जाता है युगों में
कभी सतत चलता जाता है
कभी हारता है खुद से
कभी सबको हराता जाता है
समय
अजीब, अद्भुत, अनोखा
अनिर्वचनीय है समय
समय... समय... समय...
कभी विरल
कभी सुनहरा
कभी बदरंग
कभी स्याह
कभी सतरंग
...............
मैं रंगों की नहीं
समय की बात कर रहा हूँ
कभी सापेक्ष
कभी निरपेक्ष
कभी घोर अँधेरे-सा
कभी रोशन किरण-सा
कभी रेशमी-मुलायम
कभी सख़्त फौलाद
अजीब गोरखधंधा है समय
कभी स्वर्णमृग बन जाता है
कभी अमृत-कलश बिंधवाता है
कभी लड़ता है युद्ध
कभी निष्कासन
कभी जल-समाधि दिलवाता है
समय
कभी बँट जाता है युगों में
कभी सतत चलता जाता है
कभी हारता है खुद से
कभी सबको हराता जाता है
समय
अजीब, अद्भुत, अनोखा
अनिर्वचनीय है समय
समय... समय... समय...
समय के बहुत से आयाम दिखा दिए ... अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteयानि की समय ही जीवन है। आभार। बहुत सारगर्भित रचना।
ReplyDeleteसमय की अति उत्तम व्याख्या की है।
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