Friday, May 28, 2010

सुंदरता को अपूर्ण ही होना चाहिए


रिमझिम झरती बूँदों को
बेधकर जब निकली
रवि-रश्मि
तो नीले आकाश पर
तन गया
इकहरा इंद्रधनु
रे धनु
तू भी है अभागा
सचमुच मेरी तरह
जो सुंदर है किंतु
संपूर्ण नहीं
अपूर्ण है
क्योंकि तीर नहीं
सुंदर है
क्योंकि तीर नहीं
तीर का होना
संधान का होना है
और संधान
नष्ट करता है
मिटाता है, गिराता है
ध्वंस करता है
लगा सचमुच सुंदरता को
अपूर्ण ही होना चाहिए

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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।