Thursday, November 4, 2010

इन दिनों.....

तुम्हारे होंठों से
झरते हैं शब्द
टप-टप-टप
महकती है फिज़ा लकलक
मैं साँस-साँस में
महसूस करता हूँ
गुलाब, चमेली, रजनीगंधा और कनेर
और न जाने क्या - कुछ
जो तुम्हारी साँसों से
महकता है
ढेर-ढेर

3 comments:

  1. अच्छी कविता
    आपको सपरिवार दिपोत्सव की ढेरों शुभकामनाएँ
    मेरी पहली लघु कहानी पढ़ने के लिये आप सरोवर पर सादर आमंत्रित हैं

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  2. दीपावली कि हार्दिक शुभकामनाये .....

    ------------

    मेरा पोर्ट्रेट

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  3. बहुत सुन्दर!
    आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामना!

    ReplyDelete

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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।