खुशी को जब न सहेजा जाए तो क्या कीजे!
किसी तनहा कोने में जाकर जीभर रो लीजे
मन का दामन छोटा हो और ढेरों खुशियाँ मिल जाए
तन पर रक्तिम कोना हो और ढेरों मरहम मिल जाए
खुशी को जब न सहेजा जाए तो क्या कीजे!
किसी तनहा कोने में जाकर जीभर रो लीजे
कंठ सून हो पथिक का और कदम लड़खड़ा रहे हो
साकी मदपात्र लिए ऐसे में खुद प्यासे तक आए
खुशी को जब न सहेजा जाए तो क्या कीजे!
किसी तनहा कोने में जाकर जीभर रो लीजे
सृजन की इच्छा हो मन में न शब्द मिले न भाव
ऐसे में आकर कोई मधु छंद लिखवा जाए
खुशी को जब न सहेजा जाए तो क्या कीजे!
किसी तनहा कोने में जाकर जीभर रो लीजे
सारी खुशियाँ पराई लगे जब गम ही अपना साथी हो
तन्हाई का साथी बनकर कोई आँसू लेकर स्मित दे जाए
खुशी को जब न सहेजा जाए तो क्या कीजे!
किसी तनहा कोने में जाकर जीभर रो लीजे
बेहतरीन भावनाएं व्यक्त करते शब्द
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