देर तक सोचकरभी न लिख सके कुछ
कोरे कागज की रंगत ये बता देती है
तेरा हाल मुझको तेरी खामोशी बता देती है
तेरी कितनी बातें मुझे तन्हाई सुना देती है
एक मुद्दत हुई देखे को तुझेअब तो आजा
दूर से आती हवामुझको ये सुना देती है
चाहा कि लिखा जाए कोई खत
हश्र पुर्जा-पुर्जा हुई ये चिंदियाँ बता देती है
परेशानी बढ़ी ज्यादा तो उठाई होगी कोई कलम
तेरे माथे पे लगी ये रोशनाई बता देती है
सच में ख़ामोशी अपने आप बहुत कुछ बोल देती हैं...
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