एक फूल में
उगते हैं
दो फूल केसर
एक कहलाता है केसर
खुशबू, स्वाद, सौंदर्यवर्धक
दूसरा
कहलाता है घास
भाई लोग इसे
केसरिया रंग और खुशबू में
रंग, बना देते हैं केसर
असली-सा
कसौटी पर गर न चढ़े
तो कोई जान नहीं पाता असलियत
बिकता है ज्यादा नकली, असली से
मगर जब होती है पहचान
तब असल पाता है
अपनी जगह और मान
...............
प्यार जो मैंने किया है तुम्हें
काश! कभी कसौटी पर चढ़े
तब हो पहचान
उगते हैं
दो फूल केसर
एक कहलाता है केसर
खुशबू, स्वाद, सौंदर्यवर्धक
दूसरा
कहलाता है घास
भाई लोग इसे
केसरिया रंग और खुशबू में
रंग, बना देते हैं केसर
असली-सा
कसौटी पर गर न चढ़े
तो कोई जान नहीं पाता असलियत
बिकता है ज्यादा नकली, असली से
मगर जब होती है पहचान
तब असल पाता है
अपनी जगह और मान
...............
प्यार जो मैंने किया है तुम्हें
काश! कभी कसौटी पर चढ़े
तब हो पहचान
दिल के सुंदर एहसास
ReplyDeleteहमेशा की तरह आपकी रचना जानदार और शानदार है।