Wednesday, January 20, 2010

स्वप्नभंगा


तुमने ही तब डाली चितवन

नैनों जब चाहा मिलना
फूलों ने जब चाहा खिलना
नजरें झुका कर बैठ गए बने रहे हम बेमन
तुम ने ही...
अभी तो भी शुरुआत प्रणय की
अभी तो हुआ विश्वास था
तुमने किया आघात हृदय पर कह 'बस हुआ अवसाद'
तुम ने ही...
आशा को विश्वास हुआ था
सबकुछ तो निश्वास हुआ था
मध्य निशा में चीख हुए तुम भंग हुआ मेरा सपन
तुम ने ही...
अब भी वक्त बचा है नीरव
छोड़ दे अपने संकोचों को
बाहुहार पहना दे मुझको तोड़ ले सारी अनबन
तुम ने ही....

3 comments:

  1. अपने भावों की सुंदर अभिव्‍यक्ति !!

    ReplyDelete
  2. बेहतरीन भावाव्यक्ति!!

    ReplyDelete

मेरा काव्य संग्रह

मेरा काव्य संग्रह
www.blogvani.com

Blog Archive

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

about me

My photo
मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।