Sunday, December 27, 2009

गोवा में जी करता है


मैं यहीं बस जाऊँ

रात को जाल फैलाऊँ
सुबह समेटने जाऊँ
चढूँ नारियल पर
ताड़ी निकाल कर लाऊँ
काजू फल तोड़ू
सड़ाऊँ, भट्टी पर चढ़ाऊँ
फैनी बनाऊँ
मगर, क्या करूँ उन सबका
पिऊँ, न खाऊँ !!

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मेरा काव्य संग्रह

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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।