Thursday, November 19, 2009

इन्दौर




चक्रवात !
जिसमें होती है
एक केन्द्रित शक्ति
जो घूर्नित होती रहती है
निरन्तर ,ले जाती है किनारे से
अंदर क्रमश और अंदर
पत्तों, फूलों और तितलियों को
सान देती हैं उन्हें
धूल के गुबार की एक अवर्नित वेदना से..
.....................
दूर से देखो तो चक्रवात
कितना खूबसूरत दिखाई देता है
किसी गुब्बारे या फूल के गुच्छे-सा
...............................
कभी आओ इन्दौर तो
चक्रवात की अंदरुनी असलियत देखो

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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।