Friday, September 6, 2013

ईजाद...!



मैंने ईजाद कर ली है
एक कला
शोर-गुल के बीच
ध्यानस्थ रहने की
तुम भी चाहो तो
इसे आजमा सकते हो,
शांति के लिए...
शहर हो या गाँव
बढ़ती ही जा रही है
आवाज़ें, चिल्लपों, शोर
कहीं वाहनों का, कहीं मशीनों, कहीं मशीनी-इंसानों का
हर कहीं, हर वक्त एक शोर-सा
मचा रहता है
हम चाहें तो भी नहीं बच पाते शोर से
नीरव शांति अब एक दुर्लभ सपना है,
मैंने खोज लिया है
तरीका एक नायाब
भीड़ में शांति तो नहीं
ध्यान लग जाता है,
चिड़चिड़ाहट नहीं होती
जब भी फँसता हूँ ऐसे शोर-ओ-गुल में
बस एक- किसी एक- आवाज़ पर
लगा देता हूँ ध्यान
गौर से सुनता हूँ, सुनने की कोशिश करता हूँ
वही एक आवाज़...
और अचानक
सब आवाज़ें जैसे दब जाती है
सुनाई पड़ती है वही एक आवाज़
और अंतत संगीत में बदल जाती है
कर्कशता से संगीत का यह
कमाल
भरी-भीड़ में, ट्रेफिक जाम में
रैलियों, शादियों, पार्टियों
हर कहीं अपना जज़्बा दिखाता है
और मैं भीड़ में मुस्कुराता नहीं, शांत दीखता हूँ

2 comments:

  1. पिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!
    कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
    ब्लॉग बुलेटिन इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बुलेटिन प्रतिभाओं की कमी नहीं 2013 (4) मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    ReplyDelete
  2. वाह ! बहुत बढ़िया ! अर्जुन सी यह एकाग्रता स्वयं में विकसित कर लेना भी तो आसान नहीं ! जो इसमें सफल हो जाते हैं वे ही इस शान्ति और संगीत का आनंद उठा पाते हैं !

    ReplyDelete

मेरा काव्य संग्रह

मेरा काव्य संग्रह
www.blogvani.com

Blog Archive

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

about me

My photo
मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।