Sunday, July 17, 2011

गुलदस्तों की तरह मुझसे मिलने आते हैं लोग

इन दिनों खुशबू की तरह पेश आते हैं लोग

रगड़ लग जाए तो देर तक महकाते हैं लोग
वो दिन हवा हुए कि कोई पहचानता न था
अब तो बावजूद-हिज़ाब जान जाते हैं लोग
तेरे शहर की फिज़ाओं में ये क्या रंग तारी हुआ
अदब से रूकते हैं, दुआ सलाम फरमाते हैं लोग
कोई अफसाना नहीं हकीकत कर रहा हूँ बयाँ
मुझ पे नज़्मों गज़लों की तरह घिर आते है लोग
जब से जाना है तेरे प्यार में सँवर गया हूँ
गुलदस्तों की तरह मुझसे मिलने आते हैं लोग

1 comment:

  1. वाह बेहतरीन भावाव्यक्ति।

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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।