Monday, December 6, 2010

कब तक यह अंतिम लड़ाई

बस यह अंतिम लड़ाई
और सुख की गोद फिर
किंतु इस सुख के पहले
त्रास कितना
कितना दुख
संघर्ष कितना
जरा बताना
जानता हूँ
बस यही अंतिम लड़ाई
और सुख की गोद फिर
फिर जैसा भी बचूँ
मैं तुम्हारा
क्षत सही, विक्षत सही
घायल और प्यासा सही
चाहूँगा बस
एक मीठी-सी चुभन
और थोड़ा स्नेहोपचार
माथे पर गर्म साँसें और
सीने के करीब प्यार
जानता हूँ बस ये अंतिम लड़ाई
और सुख की गोद फिर
किंतु
कब तक यह अंतिम लड़ाई
और सुख की गोद कब

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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।