Wednesday, January 6, 2010

एक शाम बारिश और आहटों की....




छत पर जमा पानी
की परनाले से आती
जमीन से टकराती ततततड़ततत...
बादलों की
घघघघुघुघुघुघरघघ...
बिजली चमकने के बाद की
धड़धड़धधधधड़....
बादलों की तहें एक-दूसरे को
पार करती हुई
हहहहहड़धहह....।
लोहे के हथोड़े से बनते मकान को-
लकड़ी के पीटे जाने की
ठठठठकठठठ....।
फाटक के खुलने की
तितितितितितिड़तितिति...।
दूर किसी के बोलने की
से....जै....की.....ऐ.....।
कुत्तों के भोंकने की

होंहोंहोंहोंहोंभौंहोंहोंहों.....।
हवा के पेड़ों से टकराने की
ससससरससस....।
और उस पर बारिश की
टपटपटपटपटप...।
और पानी भरे बादलों पर से
हवाओं के गुजरने की
ढढढढढकढढढ.....।
और मेरी........
...........
लिखे जाने की
रररररररसरर.....।

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मेरा काव्य संग्रह

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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।