Tuesday, January 5, 2010

क्यों ना जोरी जुड़े....


तुम कहती हो कुछ

जब (एक लंबी कशमकश के पश्चात)
तो लगता है जैसे
काट रही हो
खड़ी पकी फसल (अनिच्छा से)
जैसे चाहती हो कि
सूखी फलियाँ कुछ
और दिन रहें
सूखी शाखों पर
और फिर किसी दिन
हवा के तेज-हल्के
झोंकों से बिखर जाएँ
जिन्हें भुरभुरी जमीन
कर ले आत्मसात
.....
और मैं कहता हूँ जब तब
कुछ
तो लगता है (जानता हूँ मैं तो)
जैसे बो रहा हूँ बीज

No comments:

Post a Comment

मेरा काव्य संग्रह

मेरा काव्य संग्रह
www.blogvani.com

Blog Archive

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

about me

My photo
मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।