जब कहीं जाना नहीं हो
तब ठहरनाजब कुछ माना नहीं हो
तो जीना
जब कुछ पराया नहीं हो
तो सहना
जब कोई सबब नहीं हो
तो रोना
जब कोई सुनता नहीं हो
तो कहना
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अपने आप में
अपने साथ गुजरना
कितना अच्छा लगता है
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