Sunday, October 3, 2010

अज़ीब

दूर रहता हूँ तो
यकीं-सा रहता है
रह सकता हूँ दूर भी
मिलने पर क्यों ऐसा लगता है अक्सर
कि रोज-रोज क्यों
न मिलता रहा....


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मेरा काव्य संग्रह

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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।