Friday, July 30, 2010

कॉफी हाउस के कोने में…

यार
अकेले कोने!
कबसे,
बता
कब से
तू था
प्रतीक्षा में
मेरी...?
या कि
सचमुच था भी!
वैसे, पता तो तुझे होगा
कोई आएगा
कभी
और
बनेगा साथी
तेरा कुछ क्षण को,
और फिर
हो जाएगा संपृक्त

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मेरा काव्य संग्रह

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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।