Thursday, October 29, 2009

ये आँसू....



जैसे जज्ब़ कर लेती है

सिंचिंत सारा पानी

गुडाई की गई मिट्टी

कि पौधे को मिल सके

नई शक्ति ,जीवंतता ,नमी,जीवन

देर तलक....ः

वैसे ही मैं पी जाता हूँ

अंदर ही अंदर

ताकि लिख सकूं

और ऊर्जित भी,

जो तुम्हें दे सकूं देर तलक.....

1 comment:

  1. कैरी ऑन....इसी की तो जरूरत है, वगरना इस दुनिया में रखा क्या है?

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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।