तब आए तुम जब टूट चुकी थी आशा
सपने बहुत सँजोए हमने
थे अरमान बहुत सारे मन में
देर बहुत की प्रिय तुमने
अब टूट चुकी अभिलाषा
सुख सारे त्याग चुका था
दुख को गले लगाया था
अब पहुँचे तुम जब बदल चुकी
सुख-दुख की प्रत्याशा
मन में भावों का तूफान उठा था
शब्दों में न बाँध सका था
भाव बिसरे, शब्द खोए
अब तो है केवल निराशा
स्मृति की मदिरा मन-प्याले में ढाल
जीवन की मधुशाला में
बैठा रहा निढाल
तब आए जब टूट चुका है प्याला
लेकिन अब भी यदि आए हो तुम
सब कुछ नया जुटाऊँगा
नेह तुम्हें अर्पित कर नीरव
आशा की बदलूँगा परिभाषा
सही है.आशा की बदलूँगा परिभाषा..सकारात्मक!! बढ़िया/
ReplyDeleteप्रियतम का वापस आने से
ReplyDeleteएक नये जीवन का आरंभ होता है
पर कितने दीवाने मिलेगें जिनका
साकी उन्हें तड़पता देख फिर वापस आता है????