Saturday, January 23, 2010

फिलासफी



मैंने जीवन को अब पहचाना

कोमल राह चलकर भी
जब पाँव में पड़ गए छाले
अब जाना है कितना कठिन पथरीली राहों पर चल पाना
मैंने जीवन को....
मधु जितनी चाही थी पी
फिर भी पाई कटुता ही अधरों ने
अब जाना है कितना कठिन हलाहल पी जाना
मैंने जीवन को...
गुलशन में फूलों की बहार रही
उमंगों की कलियाँ भी बेशुमार रही
फूल लगे चुभने तब जाना कितना कठिन है शर को गले लगाना
मैंने जीवन को...
पूनम थी जब छाई गगन में
मन में फिर भी अँधियारा था
अब जाना है कितना कठिन मावस की रात बिताना
मैंने जीवन को....
मिला न इच्छित बहुत था ढूँढा
चला छोड़ जब पहला आशियाना
नंगे सिर अब है नीरव कितना कठिन फिर से नीड़ बसाना
मैंने जीवन को....

No comments:

Post a Comment

मेरा काव्य संग्रह

मेरा काव्य संग्रह
www.blogvani.com

Blog Archive

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

about me

My photo
मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।