तुमने ही तब डाली चितवन
नैनों जब चाहा मिलना
फूलों ने जब चाहा खिलना
नजरें झुका कर बैठ गए बने रहे हम बेमन
तुम ने ही...
अभी तो भी शुरुआत प्रणय की
अभी तो हुआ विश्वास था
तुमने किया आघात हृदय पर कह 'बस हुआ अवसाद'
तुम ने ही...
आशा को विश्वास हुआ था
सबकुछ तो निश्वास हुआ था
मध्य निशा में चीख हुए तुम भंग हुआ मेरा सपन
तुम ने ही...
अब भी वक्त बचा है नीरव
छोड़ दे अपने संकोचों को
बाहुहार पहना दे मुझको तोड़ ले सारी अनबन
तुम ने ही....
अपने भावों की सुंदर अभिव्यक्ति !!
ReplyDeleteबेहतरीन भावाव्यक्ति!!
ReplyDeleteSUNDAR BHAVABHIVYAKTI !!!!
ReplyDelete