विश्वास नहीं फिर भी छूटा
जिसको था अपना जाना
जिसको था अपना माना
मदहोश किया उसी ने पहले
और सभी कुछ लूटा
विश्वास नहीं फिर भी छूटा
जिसने था मेरा सच जाना
जिसने था मन को पहचाना
आँखें फेरी उसी ने पहले
और कहा फिर झूठा
विश्वास नहीं फिर भी छूटा
जीने की अपनी शैली थी
मस्ती की अपनी रंगरेली थी
मुझको छीना मुझसे तूने
कैसा ये प्रयोग किया अनूठा
विश्वास नहीं फिर भी छूटा
हम तो फिर भी जी ही लेंगे
अपने आँसू पी ही लेंगे
पश्चातापों के साए नीरव
पश्चातापों के साए नीरव
ताउम्र करेंगे तेरा ही पीछा
विश्वास नहीं फिर भी छूटा
vishvas hee to zindagi ka ras hai.narayan narayan
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