इस बार तुम्हारी दूरी
कविता नहीं करवाती है
मुझमें अजब-सा सूनापन
अवसाद, शून्यता और बेचैनी भरती जाती है
इस बार तुम्हारी दूरी
मुझसे रचना नहीं करवाती है
कर अवश मुझे
दुखी, वियोगी पात्र
जो मैं हूँ' -- बनाती है
इस बार तुम्हारी दूरी
काव्योचित गरिमा नहीं भर पाती है
प्रेम कहानी के देवदास-नुमा संस्करण को
मेरे बरअक़्स लाती है
इस बार तुम्हारी दूरी
मुझे कवि नहीं बनाती है
जो दूर है अपनी प्रिया से-छटपटाता, धैर्यहीन
ऐसा ऐतिहासिक पात्र बनाती है
सुंदर रचना .. आपके और आपके पूरे परिवार के लिए नया वर्ष मंगलमय हो !!
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