तुमको न समझ पाना
मेरी हार है या है
मरे अनुभवों का कच्चा निकल जाना
समझ नहीं पा रहा...
अब तक मेरे अनुमानों पर
गर्व मुझे खुद होता था
तुम मेरी अपवाद हो या तो
मैंने तुमको न पहचाना
समझ नहीं पा...
अनजाने सायों पर भी मेरी राय
सही सदा निकलती थी
मेरा सच झूठा निकला उसी पे
जिसको था मैंने जाना
समझ नहीं पा...
चाहे जो भी बात हो लेकिन
नहीं यह स्वीकार मुझे
सब कहते हैं भुला दो नीरव
समझ इसे अफसाना
समझ नहीं पा...
सही ही सलाह है...बढ़िया रचना!!
ReplyDeleteवो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन
ReplyDeleteउसे इक खूबसूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा
--नीरव जी इस लिए ये उधेड़ बुन छोड़िये
NICE ONE!!
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