Wednesday, March 17, 2010

यही सीख तेरी


जब भी याद किया किसी को
मुझको तेरी याद ही आई प्रिय
देस में परदेस में
तट में, पनघट में
राह में, भवन में
मझधार में, गगन में

जब भी देखा किसी को
तू ही दी दिखलाई प्रिय
मेले में, अकेले में
बाँसुरी पर, शहनाई पर
भीड़ में, तनहाई में
मृदंग पर, ढपली पर
जब भी कोई गूँज सुनी
तेरी आवाज ही आई प्रिये

मंदिर में, मस्जिद में
गिरजा में, गुरुद्वारे में
शबद में, प्रार्थना में
पूजा में, अजान में
प्यार करो यही सीख तेरी
पड़ी सभी जगह सुनाई प्रिय

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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।