Friday, March 5, 2010

फीका है सारा चमन


आज फीका लगता है सारा चमन
पाला था जिसको जतन से
अश्रु-स्वेद-रक्त के हवन से
तोड़ डाला किसने जाने
ये खिलखिलाता सुमन

आज फीका लगता है सारा चमन
तोड़ कर टहनी से उसको
मैं अपना घर सजा लूँ
थी नहीं ये इच्छा, सोचा था
देखता रहे उसे गुलशन
आज फीका लगता है सारा चमन

सारा बाग जब था खिला
वो अकेला मुरझा रहा था
पूछने पे कारण उसने बताया
मुझको न जमीं मिली
न ही मिला गगन
आज फीका लगता है सारा चमन

2 comments:

  1. मंगलवार 28/01/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    आप भी एक नज़र देखें
    धन्यवाद .... आभार ....

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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।