फिर से वही तनहाईयाँ
फिर से वही वीराने
तू कल चला जाएगा
हम हो रहेंगे दीवाने
हम हो रहेंगे दीवाने
नजरों पर पहरे होंगे
जुबां पर होंगे ताले
तू तो समझेगा कि
हम हो गए बेगाने
तू कल चाहे हमको भूले
हम न भूल सकेंगे
जिंदगी के साज़ पर छेड़े
तूने जो मस्ती भरे तराने
काश कि तू जान सके
मजबूर हम थे कितने
तेरी याद में काटे हैं
रो-रो कई जमाने
बहुत सुन्दर भाव! बहुत सुन्दर रचना है राजेश जी।बधाई।
ReplyDeleteभावपूर्ण , जब कहा न जा सके तब भी तराने बन के भाव छलक पड़ते हैं |
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