Monday, February 1, 2010

दर्द की इंतहा


मस्ती हम मतवालों की
जाने कहाँ खो गई
कभी था हमने पिया था जिसको
आज वो हमको पी गई
खामोश रहना आदत कब थी
वक्त ने किया सितम ऐसा
उनके होंठो की ही कोई बात
हमारे होंठ सी गई
मस्ती हम मतवालों की...
ठोकर खाकर जख्म खाते
तो कोई बात थी
हमारी ही एक आदत
आज हमको जख्म हो गई
मस्ती हम...
छूकर जिसको होंठों को
अपनी प्यास बुझाते थे
उसके होंठों की ही छुअन
आज हमको जहर हो गई
मस्ती हम....
हो जाना है ये मर्ज
लाईलाज अब तो नीरव
दुआ से उनकी हर दवा
आज हमको बेअसर हो गई
मस्ती हम...
कोई भी हुनर हमको
अब हँसा नहीं पाएगा
शरारत उनकी ही एक
आज हमको सजा हो गई
मस्ती हम...
कोई भी दर्द हमको
अब रूला नहीं पाएगा
इतना दिया है तुमने नीरव
दर्द की इंतहा हो गई
मस्ती हम...

No comments:

Post a Comment

मेरा काव्य संग्रह

मेरा काव्य संग्रह
www.blogvani.com

Blog Archive

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

about me

My photo
मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।