Monday, December 21, 2009

रात भर




समंदर की आवाज आती रही
रात भर
समंदर की हवाएँ इठलाती रहीं
रात भर
लहर पर लहर पर लहर आती रही
रात भर
नींद आती रही, नींद जाती रही
रात भर
मुझको भी खुद -सा बावरा बनाती रही
रात भर
डूबते- उतराते किनारों पे लाती रही
रात भर

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मेरा काव्य संग्रह

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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।