तुम्हारे रंजो-गम को गर कतरा भर भी कम कर पाया
मैं समझूँगा कामयाब हुई कोशिशें, जीवन सफल बनाया
जानता हूँ तुम्हारे तनाव दुनियावी नहीं रूहानी हैं
कुदरत ने कुछ सोचकर ही तुम्हें शायर की महबूब बनाया
चेहरे पे तुम्हारे शोख हँसी न रहे, न सही
भरी-भरी गंभीरता ही तुम्हारा गहना है, जिसने तुम्हें सजाया है
बहुतों को मिलती है मोहब्बत, भोली और मासूम
मैंने दिल दिया फ़िलासफ़र को, राम तेरी माया
तुम्हारी हँसी सच्ची है, सच्चे हैं आँसू भी
सात परतों में लिपटी है तुम्हारी तिलस्मी काया
रहस्य का रंग होता है गहरा, अंतरिक्ष की तरह
खुदा ने भी सोचकर डाला है तुम पर साँवला साया
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