नए साल को नज़र
कितने जज़्बातों को ज़ब्त कर लेते हो दिल में
कितनी फ़िज़ूल बातों को देर तक हवा देते हो
तुम मुद्दत से मुझे देख-सुन-परख रहे हो,
मुहब्बत कब करोगे, जुनून-सा जगा देते हो
कुछ बातें हैं जो बताई नहीं अब तक तुमको
मेरी हर बात दूसरों को जो बता देते हो
जितने तपते हो, उतने भीगते चले जाते हो
गर्द हो या गर्दिश, हाल-ए-दीवाना बना लेते हो
मैं तुम्हें मिल भी जाऊँ तो क्या हासिल इसमें
अपना या बेगाना, सबको यकसी सज़ा देते हो
फूलों की सेज हो या फिर काँटों का बिछौना
थपकियों की शिफ़ा से, नींद मुख्तसर ही देते हो
दुआ करता हूँ फिर भी तुम्हारे लिए ख़ुदा से,
एक तुम ही तो हो जो उम्मीद जगा देते हो