Tuesday, March 2, 2010

नई ऊर्जा

मैं

हर बार
कविता लिखकर
यही सोचता हूँ कि
अब
अगली बार
नहीं लिख पाऊँगा
कोई कविता
कहाँ से लाऊँगा
फिर से
इतने भाव
भंगिमाएँ
भावनाएँ
शब्द
औऱ अर्थ औऱ इनका समन्वय...
किंतु
न जाने कब
मन की टीस
लरज उठती है
घाव हो जाते हैं
हरे फिर से
और दर्द की ये कसक
अंदर बैठे भावुक रचनाकार को
दे जाती है
नई ऊर्जा
नई प्रेरणा
नई शक्ति
और तब
आहत मन से
कलम से
उमड़ पड़ती है
नई कोई कविता

No comments:

Post a Comment

मेरा काव्य संग्रह

मेरा काव्य संग्रह
www.blogvani.com

Blog Archive

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

about me

My photo
मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।