Wednesday, December 16, 2009

समंदर




सुबह सहलाता है
दोपहर नहलाता है
रुमानी हो जाता है शाम को
रात को दहलाता है
है तो एक ही,
मगर आठ पहर में
सोलहों श्रंगार दिखलाता है

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मेरा काव्य संग्रह

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मुझे फूलों से प्यार है, तितलियों, रंगों, हरियाली और इन शॉर्ट उस सब से प्यार है जिसे हम प्रकृति कहते हैं।